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उधार है क्या-Udhar Hai Kya- एन कुमार साहब की गज़लें


क्यों मर जाऊँ मुझपर तेरा उधार है क्या?
मेरी पेशानी पर देख, कोई दरार है क्या?

लोग बार-बार करते है मेरी हार के चर्चे,
मेरा खौफ अब भी, बरकार है क्या? 

मेरी तबाही में शामिल है मेरा यार अपना, 
मेरे यार के जैसा कहीं गद्दार है क्या? 

कोई बताये मैं अपने सिर को पटकू कहाँ? 
खुदा के दर से बड़ा कोई दरबार हैं क्या? 

कौन हैं जो दे रहा है मेरे, दिल पे दस्तक,
बाहर देखो कोई दर्द का, खरीदार है क्या? 

क्यो लगता है तुझको कि बदल जयेगा "कुमार "
अरे आशिक है, कोई देश की सरकार हैं क्या...

© N kumar "$ahab"

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5 Comments

fiza Tanvi

15-Dec-2021 06:42 PM

Good

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Pallavi

15-Dec-2021 06:30 PM

Nice

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Seema Priyadarshini sahay

15-Dec-2021 04:28 PM

बहुत खूबसूरत

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